hanuman chalisa Fundamentals Explained
hanuman chalisa Fundamentals Explained
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बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन–कुमार ।
भावार्थ – हे पवनकुमार! मैं अपने को शरीर और बुद्धि से हीन जानकर आपका स्मरण (ध्यान) कर रहा हूँ। आप मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करके मेरे समस्त कष्टों और दोषों को दूर करने की कृपा कीजिये।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥ राम दूत अतुलित बल धामा ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥ तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना ।
tumaTumaYou rakshakaRakshakaProtect kāhūKāhūWhy? or of whom daranāDaranāBe scared Meaning: Taking refuge in you just one finds all joy and Pleasure; you’re the protector, why be feared?.
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार॥
sugamaSugamaEasy anugrahaAnugrahaGrace tumhareTumhareYour teteTeteThat Meaning: Just about every hard activity on the planet becomes uncomplicated by your grace.
The Hindu deity to whom the prayer is addressed is Hanuman, an ardent devotee of Rama (the seventh avatar of Vishnu) along with a central character inside the Ramayana. A basic Among the many vanaras, Hanuman was a warrior of Rama from the war against the rakshasa king Ravana.
भावार्थ– आप साधु–संत की रक्षा करने वाले हैं, राक्षसों का संहार करने वाले हैं और श्री राम जी के अति प्रिय हैं।
The king on the gods, Indra, responds by telling his spouse which the dwelling remaining (monkey) that bothers her is to be viewed as a colleague, and that they should make an effort and hard work to coexist peacefully. The hymn closes with all agreeing that they ought to arrive with each other in Indra's property and share the wealth from the choices.
Should you have extra time then You may also chant Hanuman Chalisa 108 periods, and that is said to provide instant outcomes, if done faithfully and with purity of the intellect.
व्याख्या – श्री शंकर जी के साक्षी होने का तात्पर्य यह है कि भगवान श्री सदाशिव की प्रेरणा से ही श्री तुलसीदास जी ने श्री हनुमान चालीसा की रचना की। अतः इसे भगवान शंकर का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त है। इसलिये यह श्री हनुमान जी की सिद्ध स्तुति है।
बालाजी आरती
व्याख्या – श्री हनुमान चालीसा में more info श्री हनुमान जी की स्तुति करने के बाद इस चौपाई में श्री तुलसीदास जी ने उनसे अन्तिम वरदान माँग लिया है कि हे हनुमान जी! आप मेरे हृदय में सदैव निवास करें।